16:10

Breath Meditation for beginners (in Hindi)

by Dr. Prem

Rated
5
Type
guided
Activity
Meditation
Suitable for
Everyone
Plays
125

We all take breaths, but we are not aware of them. In this method, we put all our attention on the breath. It is necessary that we keep effortless attention on the breath. We do not have to try to make any kind of change in breathing speed from our side. Leaving yourself relaxed, you have to become a mere watcher. This enhances our awareness and expands our consciousness   Benefits of breath meditation•For stress relief• To eliminate distracting thoughts• To bring balance in mind and emotions•

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Transcript

एक सरल सी विधी है सांसों पर ध्यान की आप लोगोंने एक चीज़ देखी होगी सांसने अपने से आती हैं और अपने से जाती हैं हमने ने तो सांस लेने के लिए ना छोड़ने के लिए कुछ करना पड़ता है ये प्रकृति में ये घटना अपने से घट रही है इस घटना को दूर से ऐसे जैसे खड़े होके किसी चीज़ को देखते हैं ना हम ऐसे देखना है हमें इस विधी में दो स्ट्रेप में हम लोग करेंगे इसको प्राण उर्चा जो है सांसों से जो मिलती है हमें उसको एक्टिवेट करना है हमें जोर जोर से दो मिलट सांसे लेनी होगी इससे दो फाइदे होगी एक तो एनर्जी एक्टिवेट हो जाएगी और दूसरा जो सांसे इंबैलेंस है ना सांसों में अब यवस्ता है सांसों में वो भी ठीक हो जाएगी ठीक है डीब रिदिंग करें चलो गहरी सांस लें और छोड़ें और जोर जोर से जैसे हम ठक जाते हैं और जोर जोर से अपनी सांसे चलने लगती हैं दोड़ भाग करते हैं हम उसके तुरंद बाग जोर जोर से जितना तेजी से ले सकते हैं येस छोड़ दें शांत हो जाए जल्दी से किसी आसन में आ जाए जिसमें हम लोग देस मिनट बैठ पाएं और हाथों को ग्यानमुद्रा में लेकर आ जाएं कमर सीधी रखें और आँखें बंद कर लें अब शरीर को सुझाओ दें कि मेरा शरीर शांत हो रहा है और सारी गतिविधियां शरीर की शांत हो गई हैं पुरी तरह शांत हो गया है मेरा शरीर अब एक संकल्प लें कि मैं अपने शरीर को बिल्कुल भी नहीं हिलाओंगा या हिलाओंगी चाहे कुछ भी हो मेरी तरब से कोई हलचल नहीं होगी एक मूर्ति की तरह मन को भी सुझाओ दें कि अभी ध्यान के लिए तयार रहना है जहांपर एक आगर होने के लिए कहा जाए कोई विचार हो,

कोई कलपनाय हो,

कोई स्मर्टी हो कोई भी कारे मन से नहीं होगा अब ये भावना करें कि मेरी पूरी उर्जा एक जगह एकठी हो गई है आज्यान चकर पर जहांपर हम बिंदी लगाते हैं उस जगह में मेरी सारी उर्जा एकतर हो गई है मेरे प्राण सारे वहाँ एकतर हो गए हैं और वहाँ से मुझे एक चीज़ देखना है केवल सांसों को आती वी सांस को और अंदर रुकी वी सांस को बाहर आती वी सांस को और बाहर रुकी वी सांस को यानि अंतराल को सब को केवल जानना है और जानते रहना है कुछ भी अपनी तरब से नहीं करना है ना सांस लेनी है,

ना छोड़नी है,

ना रूकनी है आपका कार केवल अभी इतना सा है कि आप साक्षी भाव से एक दृष्टा भाव से विटनेस बन के केवल देखते रहें ध्यान रहे ऐसा बिल्कुल ना हो कि मन कहीं गया हो और सांस अपने से अंदर या बाहर आजाए आपको एक एक सांस के लिए सजग रहना है बहुत बारीक काम है ये इससे बड़ी सावधानी से और बड़ी सजगता से करना है आपका ध्यान तभी सफल होगा जब आपकी एक भी सांस मिस ना हो आपसे छूटे ना आपसे कुछ देर आपके पास कोई जिमयदारिया नहीं कोई विचार नहीं हर चीज़ से मुक्त होकर कुछ देर केवल आपका कारण इतना सा है कि आप अपनी सांस को देखते रहें आप अपने आग्याँ चक्र में ये महसूस करें कि आप छूटे से हो गए हैं और वहाँ से केवल सांसों को देख रहे हो पहरे दारी कर रहे हो सांसों की इससे सरल तम कुछ नहीं हो सकता आप कुछ नहीं कर रहे हैं अभी केवल देखने का काम कर रहे हैं लेकिन ध्यान रहे एक एक सांस का लेखा जुखा आपके पास हो मन कहीं चला गया हो तो उसे वापस ले आए और इस कारे पर लगा दें केवल सांसों को देखने का जानने का कारे अब सांसों को भी छोड़ दें बिल्कुल खाली हो जाएं सांसों को भी देखना छोड़ दें बिल्कुल खाली हो जाएं अब आपके पास कोई कारे नहीं कुछ देर कोई विचार नहीं करें कोई कलपना नहीं करें कुछ भी मन में लेकर ना आएं इस खाली पन को बनाए रखें इसे मैंटीन करें इस एम्टीनेस को यह बहुत कीम्टी छण है जब आप पूरी तरह मुक्त हैं हर चीज से इन पलों को कुछ भी खोने ना दें थोड़ी देर बस हो जाएं इस खाली पन में केवल जी लें इन पलों को बिना किसी कलपना,

बिना किसी विचार बिना किसी मन की भाग दौड के जो की प्रती पल बनी रहती है वैसे अब हम ध्यान को समापन के ओर पहले एक बार अपने शरीर को जाचें सिर से लेके पैर तक अपने शरीर को देखने का प्रियास करें आप देखेंगे आपका शरीर अभी तनाव रहीत हो गया होगा हलका हो गया होगा उर्जावान हो गया होगा आपके मन मन और भावनाओं में भी एक बियवस्ता आगी होगी अपने आपको तयार करें और अब दोनों हातों की उंगलियों को हिलाएं,

आँखें बंद रखेंगे अभी मुठी खुलें और बंद करें पास लाएं दोनों हातों को रगडें और गरम करें पुरे चेहरे से गरम कर लें जब खुब गरम हो जाएं तो आँखों पर रखें माथे पर रखें उंगलियों को और पुरे चेहरे पर फिराएं,

पुरे चेहरे को सहलाएं और आँखें खोल दें दो मिनट मौन बैठे रहेंगे बिना वाचित कियेवे जो मन में विचार है भाग दोड है मन में भी चोई स्ट्रेस है या भावनाओं के तल पर है उसको भी बियवसित कर देता है ध्यान ध्यान की कोई भी विदी हो,

इसकी बात नहीं कर रहा हूं और उससे भी महतपूर्ण बात हमारी अवेरनिस हमने जिसे सजक्ता कहा ध्यान कहा जागरती कहा,

पता नहीं कितने सारे नाम दिये हमने इसे उसको बढ़ा देता है जैसे हमारी सजक्ता बढ़ती है हमारा विवीख का जागरण होता है और विवीख हर चीज का हल है हमारे जीवन में,

हमारी हर समस्या का हमारे सुखी रहने का हमारे सवस्थ रहने का आननदित रहने का सूत रहे विवीख ठेक है थेंक यू

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