टॉंगलिन ध्यान का इत्हास दुस्वी सदी के अंत से चुड़ा है और इसकी उत्पती बंगाल में हुई थी,
जो आज की समय में बांगलादेश और भारत पश्चिम बंगाल का हिस्सा है.
यह ध्यान तिबती बोध धर्म से सम्बंधित है और दलाई लामा की सबसे महत्वपूर्ध तैनिक साधनाओं में से एक है.
टॉंगलेन शब्द का अर्थ है लेना और देना.
यह देने और प्राप्त करने की एक गहरी साधना है,
जो सची उदारता को दर्शाती है.
हम जितना भी दे,
तिर भी हम पूरे और परिपून बने रहते हैं.
यदि आप यह ध्यान प्रकर्ती में खुले वातावरण में करें,
तो आपकी साधना और अधिक ऊर्जा से भर जाएगी.
धर्ती के त्वत्वों,
सूर्य,
चंद्रमा,
ग्रहों और उस ब्रह्मांड्य ऊर्जा के कारण,
जो स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती है,
वही ऊर्जा जो घाओं को भरती है,
अड्डियों को बढ़ने में मदद करती है और फूलों को खिलाती है.
आप इसे ईश्वर भी कह सकते हैं.
अब मैं आपको आमंत्रित करती हूं,
कि आप अपने शरीर को एक ऐसे आसन में रखें,
जहां वे सतर्कता और सहजता से टिका रहें,
जिससे ऊर्जा स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो सकें.
अब अपनी टोड़ी को फूला अन्दर की ओर खीचे और अपने हातों को किसी आराम दायब स्थिती में रखें.
धीरे धीरे अपनी सामस को सांथ होने दें.
अब अपना ध्यान सिर के मुकट पर केंद्रेट करें और धीरे धीरे इचे की ओर स्कैन्ट करें अपने पैरो तक.
देखें की क्या आपके शरीब में कहीं कोई तनाओ है?
जहां भी आपको तनाओ महसूस हो वहां अपना ध्यान रोकें और उसे थोड़ी हुमलता दें.
अपनी अपको जब्डें और बलें को आपको दें.
अपने कंदों को आराम दें.
सल्पना करें की तनाओ पिखल कर पानी बन रहा है और बह रहा है.
अब अपनी ताती उपरी और निचली पीठ,
पेट पर ध्यान दें.
अपने पेट को पूरी तरह सेहच और ओमन बनने दें.
जितना संभाव हो उसे ढीला छोब दें.
अपने नितम पर ध्यान दें और महसूस करें की वे जिस सतह पर टिके हैं उसमें और गेहराई से समा रहे हैं.
अप अपने उपरी और निचले पेहरों तक ध्यान लाएं.
अपने पेहरों की फर्ष या सतह को चूने की एहसास को महसूस करें.
दीरे दीरे अपने ध्यान को अपनी छाती के मध्यमें रिदे छेत्र में केंद्रत करें.
यहां की उर्चा को महसूस करें.
जायद आपको अपने दिल की धणकन का एहसास हो.
इस विशाल आकाशिय चगे को अनुभव करें.
यह घर जैसा एहसास है,
उपस्थिती का एहसास है.
अब आप सास लेते हैं,
तो ऐसा महसूस करें कि आप अपने पूरे शरीर की रोम-रोम में सास अंदर खीच रहें हैं.
यह हवा आपकी तुचा से होकर आपकी खुदै की केद्र में प्रवेश कर रही है.
फिर धीरे धीरे इसे अपने शरीर की रोम-रोम छेद्र से बाहर छोड़ें.
अपनी सास को जितना समभा हो स्वभाविक और सहज रहने दें.
इस बीच अपने हिर्देह में उत्पन होने वाली सभी सम्वेद्नाओं से जोड़ें.
अब अपने ध्यान को सास से हटा कर उन सभी चीजों पर केंद्रित करें जो आपकी जीवन में मूल्यवान हैं.
महसूस करें कि आपका शरीर अपने आप काम कर रहा है.
आपका दिल धडब कर रहा है.
आपकी तवचा आपको गरब कर रही है.
आपकी पास भोजन है,
पानी है और एक ऐसा देश है जहां यह सब उपलब्ध है.
आपकी पास रहनी के लिए एक घर ही.
सोचे कि आपके पास कितनी मूल्यवान योग्यताई हैं.
आपकी रचनात्मक्ता,
बुद्धिमता,
दयालुता,
प्रे,
उन सभी चीजों को याद करें,
जिनके लिए आप अभारी हो सकते हैं.
आपके जीवन में जो भी विशेष,
कौशल सीके हैं,
जिन सिक्षाओं से आप लाभानवित होए हैं,
उन सभी को ध्यान करें.
जिन सिक्षकों और मार्गदर्शकों से आपने सीखा हैं,
उन्हें याद करें.
अपने जीवन में प्राप्त प्रेम,
देखपाल और सहायता को महसूस करें.
अब हम टॉंगलेंट ध्यान की प्रक्रिया चुरू करने चाहेंगें.
किसी ऐसे प्रियजन को अपने मन में लाएं,
जिसे उपके पास मौजूब संसाधनों,
सुविधाओं या सहायता की आविशक्ता हो.
कोई जो अभी किसी कटिनाई से गुजर रहा है,
स्वास्थ संबंदी समस्या,
आर्थिक संकर्ट या जीवन की अन्य चुनौतिया,
उनके दर्थ और भैसे भावनात्मक रूप से जुड़.
जब आप सांस अंदर लें,
तो कल्पना करें कि आप उनके संगर्ष,
उनकी पीड़ा और भै को अपने भीतर खीच रहीं हैं.
और जब आप सांस छोड़ें,
तो अपनी सभी खुशिया,
प्रेम,
शक्ति और जो कुछ भी उन्हें चाहिए,
वे उन्हें देश दे.
इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें,
उनकी पीड़ा को अंदर लेना और उन्हें भै सब देना,
जिसकी उन्हें आविशक्ता है.
पूरे विश्वास की साथ निडर होकर इसे करें,
अपने भीतर की साहस को महसूस करें और खुद पर भरोसा रखें.
अब अपने ध्यान को व्यापक करें और सभी पीड़ित लोगों को शामिल करें,
उन सभी को भी अपने भीतर लें,
जो किसी ना किसी संघर्ष से जूच रहें हैं.
आपकी प्रेयजन,
अजनबी और यहां तक की वे भी जिने आप बहुत पसंद नहीं करते,
उनकी पीड़ा को अपने हिरदे की विशाल स्थान में समाहित करें.
और फिर अपनी सास की साथ उन्हें वे सब कुछ दें,
जिनकी उन्हें ज़रूरत है,
समर्थन और उपचार भेजे.
अब उन समोगों की पीड़ा को महसूम्स करें,
जो पड़े पैमाने पर संगर्श कर रही हैं.
भूख,
युद्ध,
विलिंद,
यहां तक की आप जानवरों और पूरी धर्दी को भी इसमें शामिल कर सकते हैं.
उनकी बीड़ा को अपने भीतर खीचे,
फिर उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी सांस छोड़ें.
अब मूरे मूरे इस ध्यान को समाप्त करें.
अपने मन को एक शुद्ध और मुक्त अवस्ता में रखें.
बस अपनी सांस की प्रभाव को महसूस करें.
और अंत में इस उर्जा को पूरे दिन अपने सांथ रखें.
यह देखने की कोशिश करें कि आपके विचार और दूसरों के प्रति आपका विवहार कैसे बदलता है.
आपका दिन शुद हो.
इस ध्यान को करने के लिए धन्यवा.