13:06

ध्यान क्या है?

by Acharya Prashant

Rated
4.7
Type
talks
Activity
Meditation
Suitable for
Everyone
Plays
475

ध्यान क्या है? जब आप ध्यान की बात ही करना छोड़ दें, तब ध्यान हुआ, तब सर झुका| सर का झुकना ही ध्यान है| ख्यालों को जहाँ जाना हो जाने दीजिये, हृदय में कोई और ही स्थापित है| यही ध्यान है | शून्य भी छवि उठता है, शून्य भी बहुत कुछ है| ध्यान में शून्य भी नहीं होता |

MeditationSelf AwarenessTruthHumilitySurrenderDetachmentNonattachmentInner PeaceEmptinessTruth SeekingSpiritual SurrenderMindful Surrender

Transcript

ध्यान क्या है?

ध्यान करने की कोशिश तुम्हे अध्यान में ले जाएगी ध्यान का नाम भी तुम्हे ध्यान से विचलित कर देगा ध्यान सभाव है सभाव पाने की चेष्टा करोगे तो हाथ सिर्फ चेष्टा रह जाएगी ध्यान का मतलब है उसको हमेशा अपने सामने,

अपने भीतर,

अपने आधार में मौझूद पाना जो सच है,

जो है attention to attend to to attend to का मतलब समझते हूँ क्या होता है?

Attendant का और कौन होता है?

सेवक तो ध्यान का मतलब हुआ निरंतर तुम्हारे मन में अपने से किसी के उपर हुने का भाव मौझूद रहे मन कभी इतना दुराग्रही ना हो जाए कि अपने आपको सेवक से उपर कुछ और समझ ले मन हमेशा किसी एक के सामने जुखा हुआ रहे और जो कोई एक है,

ध्यान रखना तो फिर अपने ही सामने जुखा यानि कि जुखा ही नहीं तो मन को अगर जुखना है तो मन के बाहर वाले किसी के सामने जुखना पड़ेगा इसका नाम ध्यान है मन निरंतर जुखा हुआ रहे ध्यान और शद्धा एक है अगर उत्तर दे दिया कि कौन है तो उत्तर को ग्रहन कौन करेगा मन और मन ने ग्रहन किया तो जिसके सामने जुखे वो कौन हुआ तो इसी लिए ये सवाल ही एक दुशाहस है एक दुश्चेष्टा है कि किसका ध्यान करें क्योंकि जो ही पूछोंगे किसका ध्यान करें आप बताईए इन देवता का किस विधी से ध्यान करें क्योंकि एक का अगर ध्यान हो सकता है तो फिर कोई दूसरा भी निकल सकता है जिसका ध्यान हो सके फिर तीसरा भी जब अलग-अलग निकलेंगे तो उनके अलग-अलग रंग,

रूप और चुनाव होंगे ध्यान का अर्थ है हम नहीं जानते कि किसका ध्यान करना है क्योंकि उसे जाना ही नहीं जा सकता गे है वो और क्योंकि उसे जाना नहीं जा सकता यही ध्यान हुआ मन निरंतर इस भावना में जीता है कि मैं जान लूँगा सब कुछ घ्यान के दाएरे में आता है मन ने जियों ही ये स्वीकारा कि कुछ है जो घ्यान के दाएरे में नहीं आता तह मेरे दौरा जाना नहीं जा सकता मन ध्यान में लीन हो गया ध्यान के नाम पर आप जितना कुछ होता देख रहे हैं वो ध्यान नहीं है वो बस इतना ही है कि मन अपने ही भीतर की किसी वस्तु पर केंद्रित हो रहा है ध्यान में शून्य जैसा शब्द भी कुछ नहीं रह जाता आप तो शून्य कहोगे आप शून्य अभी कहो आपके मन में कोई न कोई छवे उठाएगी मैंने कहा शून्य देखा मन में क्या उठा?

तो शून्य तो बहुत कुछ है ये जो शून्य है ये तो बहुत बड़ा शून्य है जो ही आपने कुछ भी कह दिया कि पूर्ण का ध्यान करना है,

कि शून्य का ध्यान करना है कि अनंत का ध्यान करना है,

कि अनादे का ध्यान करना है आपने ध्यान से मुँ मोल लिया जब आप ध्यान की बात ही करना छोड़ दें ये जान करके कि ये बात तो बात करने वाली है ही नहीं तब ध्यान हुआ,

तब सर जुका सर का जुकना ही ध्यान है ध्यान का मतलब ये नहीं है कि आप किसी महत सक्ता के विशय में निरंतर सोचे जा रहे हैं ध्यान का अर्थ है कि जिसके विशय में सोचना हो सोचिए पर दिल तो कहीं और लगा हुआ है ख्यालों को जहां जाना हो जाने दीजिए भिदा में कोई औरी स्थापित है ये ध्यान है सत्य की और लगातार उनमुख रहते हुए जीवन जैसे जीना हो जीओ अब तुम ध्यानस्त जीवन जी रहे हो सत्य शब्ज का भी जो मैंने प्रयोग किया वो शून्य से कुछ अलग नहीं है सत्य कोहो की शून्य कोहो ध्यान दोनों ही इस्थितियों में हटा तो सत्य भी कुछ नहीं है असल में देखिये ना जैसे ही आप कुछ भी बनाते हैं ध्यान का विशय,

ध्यान का केंदर आप एकागर होने लगते हैं किस पर जिसको आपने कोई केंदर बनाया और आप कोई केंदर बना नहीं सकते बिना उसकी छवि बनाये छवि तो सत्य होती नहीं नाम,

रूप,

आकार तो सत्य होते नहीं यह तो सीमित होते हैं ध्यान का मतलब है यह विनम्रता कि कुछ ऐसा है जिसके बारे में बात करना भी बत्तमीजी है कुछ ऐसा है जिसके बारे में चर्चा छिड़ना दुस्साहस है कुछ ऐसा जो मुझे छू के गंदा नहीं करना चाहिए यही ध्यान है कुछ ऐसा जिसे मैं नहीं छू सकता पर जो मुझे लगातार छूए हुए है जिसे मैं गंदा करने की कोशिश नहीं करूँ क्योंकि वही अकेला है जो मेरी सफाई का साधन है यह ध्यान है राइटफूल लिविंग ध्यान की निष्पत्ति है फल है ध्यान का मन ध्यानस्त रहेगा तो जीवन उचित रहेगा तो तुम तुले हुए होगी तुम्हें काम वही करने है जो करते हो दिन भर तुम्हें कैसे पता कि वह छूट ही जाएंगे ये भी तो तुमने सोच ही लिया ना पहले ही अनुमान लगा लिया इसका मतलब यह है कि जानते हो कि कुछ है जीवन जो छूट जाएगा अगर सत्य की ओर गए डरे हुए हो मैंने कह दिया कि अगर घटिया होगा तो छूटेगा तुम कह रहो कि मेरा छूट जाएगा मतलब तुम क्या जानते हो मत कहो कि मैं जो करता हूँ वो करते हुए भी ध्यानस्त कैसे रहो ध्यान पहले आता है ध्यान को निर्धारित करने दो कि अब दिन कैसा बीतेगा यह मत कहो कि दिन तो मुझे वैसा ही बिताना है जैसा मैं बिताता हूँ ऐसे ही धिन में मेरा ध्यान भी लगा रहे ध्यान पहले आता है तुम्हारी दिन चर्या पहले नहीं आती प्रथम कौन है यह समझो इसी का नाम ध्यान है ध्यान माने जानना कि उचा कौन है to whom to attend प्रथम कौन है तुम ध्यान में रहो उसके बाद ध्यान तै कर देगा कि दिन चर्या में ध्यान माने जानना कि उचा कौन है ध्यान माने जानना कि उचा कौन है ध्यान से उचा पुछ है ही नहीं जिसे बचाया जाए तो आप ध्यान में रहिए फिर जो बचना हो बचे और जो जाता हो जाए फिकर क्या जो असली चीज थी वो तो मिल गई न असली क्या चीज थी वो मिल गई जो बचता हो बचा जो नहीं बचा हो गया यह मत कहो कि नहीं नहीं जिंदगी तो वैसी ही चले जैसे चलनी थी अगर जिंदगी वैसी ही चलनी जैसे चलनी थी तो मतलब कि जिंदगी तुम्हारी प्रातमिक्ता है वही तुम्हारी ले सरवोच है वही तुम्हारी ले सरवोच है अगर जिंदगी तुम्हारी प्रातमिक्ता है उसे वैसी ही चलाना है जैसे चला रहे हो तो अब ध्यान क्यों माग रहे हो फिर तो वैसी चल ही रही है जैसे चल रही है जिनने जिंदगी बदलनी हो वो उतरें न ध्यान में अगर जिंदगी तुम्हें वैसी ही चलाना है जैसे चल रही है तो ध्यान का क्या करोगे वो तो फिर चल ही रही है जैसे चल रही है तुम कह रहे हो गाड़ी मेकानिक के पास ले जाओ पर फिर भी चलनी वैसी ही चली जैसे चल रही है तो ले ही क्यों जा रहे हो तो ले ही क्यों जा रहे हो फिर तो चल ही रही है जैसे चल रही है तुम यह कहो कि गाड़ी सुधर जाए फिर जैसी भी चलेगी भेथर चलेगी आनंध पहले है काम बाद में आनंधित होके काम करें आनंधित है अब जो काम होता हो होगा अब जो भी काम होगा वो आनंध के अनुकूल होगा वो आनंध के विरोध में नहीं होगा वो आनंध को नश्ट करने वाला नहीं होगा तो तो मतलब बी पासिदिव है एक तो इतनी मतलब आप निकाल लेते हैं जो कहा भी नहीं मतलब निकाल लेते है आनंध कोई पॉजिटिविटी है क्या?

आनंध यह है कि कुछ पॉजिटिव हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता मौज है आनंध पॉजिटिविटी तो व्यापार है जुड़ गया कुछ और वो भी व्यापार है और क्या?

निकेटिव पॉजिटिव अब बहुत कीमत नहीं रख रहे हैं यह आनंध है पॉजिटिव कीमत रख रहा है तो धन्दे की बात है न उसमें बोला पॉजिटिव तो लाला जी की बाचें खिल गई अब बोला निकेटिव तो आनंध लड़ गया यह आध्यात्मिक्ता थोड़े ही है पर यह खूब चलता है न आनंध माने पॉजिटिविटी यही होता है चत्य के नाम पर धन्दा होता है तो फिर दुनिया वैसी हो जाती है जैसे दिख रही है संस्वालिक तो एसे ही होता है

Meet your Teacher

Acharya PrashantGreater Noida, Uttar Pradesh, India

4.7 (19)

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Suresh

October 22, 2022

Swamiji's insight on Dhyan is amazing. HE gave a clear and lucid account of what and how to meditate. Jai Gurudev 🙏🙏🙏

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